मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

आत्मा अजर-अमर है


आत्मा अजर-अमर है

हिन्दू समाज उपनिषदों और गीता में वर्णित आत्मा की अमरता को स्वीकार करता है । गीता में कहा गया है-

 वासांसि जीर्णानि यथा विहाय   नवानि  गृह्णाति नरो पराणि ।

 तथा शरीराणि विहाय जीर्णा-  न्यन्यानि  संयाति नवानि देही ।

    जीर्ण वस्त्र को जैसे तजकर नव परिधान ग्रहण करता नर ।

    वैसे  जर्जर  तन  को तजकर  धरता  देही  नवल  कलेवर ।

     नैनं  छिन्दन्ति  शस्त्राणि  नैनं दहति पावक: ।

     न  चैनं  क्लेदयन्तापो  न  शोषयति मारुत: ।

    शस्त्रादि इसे न काट पाते     जला न सकता इसे हुताशन ।

    सलिल प्रलेपन न आर्द्र कर    खा न सकता प्रबल प्रभंजन ।

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