बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

आज का व्यक्ति जी रहा है नकली जीवन



रामपुर। प्रख्यात संत आचार्य सुधांशु महाराज ने कहा कि आज का व्यक्ति नकली जीवन जी रहा है। कथनी-करनी और सोच में एकरूपता नहीं है। लोग यह ढोंग तो करते हैं कि वे प्याज-लहसुन नहीं खाते, पर वे रिश्वत खाने से परहेज नहीं करते। उन्होंने इस दिखावे को अशांति का कारण बताया।
वह विश्व जागृति मिशन की ओर से बुधवार को कुमार तनय कम्युनिटीसेंटर में हुए आशीष वचन कार्यक्रम में साधकों को सद्वचनदे रहे थे। उन्होंने कहा कि इस संसार में जो निरंतर घटती है वह है आयु, जो निरंतर बढती है वह तृष्णा है और जो न कभी घटता है न कभी बढता है वह है विधि का विधान। व्यक्ति सुख में रहना चाहता है। भोग विलासिता को अपनाता है। इन सबके चलते वह परमात्मा के बताए नियमों से दूर होने लगता है, जबकि उसे ईश्वर को साक्षी मानकर जीवन के कार्य करने चाहिए। कहा कि दिखावा करना व्यर्थ है। आडंबर करने से रोज मंदिर जाने वाला भी आस्तिक नहीं बन पाता। दफ्तर के बाहर बोर्ड लगाता है कि रिश्वत लेना अन्याय है जबकि उसकी स्वयं की धारणा यह रहती है कि रिश्वत लेना अन्य आय का साधन है।
सुधाशुंमहाराज ने कहा कि चीज जहां खोती है उसे वहीं ढूंढने से वह मिलती है। व्यक्ति बैठा कहीं है ध्यान कहीं और है, इसलिए अशांत रहता है। जीवन के समस्त दुखों का कारण यह अशांति ही है।

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